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शाहजहां की मृत्यु कब हुई थी?
बीमारी के चलते जनवरी 1666 में शाहजहां की मृत्यु हो गई। शाहजहां की मृत्यु को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि औरंगज़ेब ने उसे मारने के लिए दो बार खाने में ज़हर मिलाया था। आगे पढ़ें शाहजहां की मृत्यु और जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें –
मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर के द्वारा की गई थी। साम्राज्य स्थापित होने के बाद मुगल शासकों ने 1526 से लेकर 1707 तक शासन किया और इसमें एक से बढ़कर एक महान शासक हुए। पानीपत की पहली लड़ाई से स्थापित होने वाले इस मुगल साम्राज्य का अंत अंतिम महान मुगल शासक औरंगज़ेब पर आकर हुआ था।
औरंगजेब के बाद भी मुगल शासक शासन करने आए, लेकिन उनका शासनकाल न के बराबर ही रहा, क्योंकि कोई भी शुरुआती मुगल शासक की तरह महान नहीं हुआ और न ही किसी के शासन में वैसा दम था। जब भी मुगलों की बात होती है, तो हमेशा इसके सबसे ताकतवर और महान शासकों की ही बात होती है। इसमें मुख्य रूप से बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां तथा औरंगज़ेब की बात होती है। इन सभी के शासनकाल के दौरान मुगल शासन चरम पर था। औरंगज़ेब के शासन के बाद मुगल साम्राज्य बिखर गया।
मुगल शासकों की बात एकदम अलग थी। इस साम्राज्य में कोई किसी का सगा नहीं था। सब राजगद्दी के लिए एक-दूसरे के खून के प्यासे थे। इसके अंतिम शासक औरंगज़ेब ने उत्तराधिकारी बनने के लिए अपने ही भाई दारा शिकोह का सिर कलम करके, अपने पिता शाहजहां को कैद में बंद कर दिया था। उस कैद में करीब 8 सालों तक शाहजहां ने जैसे-तैसे अपना जीवन काटा और अंत में उसकी मृत्यु हो गई।
शाहजहां की मृत्यु को लेकर अलग-अलग मत दिए जाते हैं। कई इतिहासकारों का मानना है कि शाहजहां को उसके ही बेटे औरंगज़ेब ने कैद में ज़हर देकर मारा था और कई इतिहासकारों का कहना है कि शाहजहां की मौत स्वाभाविक थी क्योंकि वो अपने बेटे दारा शिकोह की मौत से सदमे में आ गया था। आखिर शाहजहां की मृत्यु कैसे हुई थी, इसके बारे में आज आप इस पोस्ट में जानने वाले हैं। आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि शाहजहां की मृत्यु का कारण क्या था?
शाहजहां को मिली बेटे से कैद की सजा
शाहजहां की मृत्यु कैसे हुई, इसके बारे में बात करने से पहले हमें उस समय की परिस्थितियों के बारे में बात करनी होगी। 1658 में शाहजहां के बेटे औरंगज़ेब ने अपनी सारी हदें पार कर दी थीं और उसका एकदम क्रूर रूप सबके सामने आया था।
उसने अपने ही पिता शाहजहां को आगरा के लाल किले के भीतर नज़रबंद कर दिया था। इस किले में शाहजहां ने 8 साल बिताए और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। ये सब तब शुरू हुआ था जब शाहजहां ने दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां को मूत्र रोग हो गया था। इसके चलते ही हकीमों ने उसकी आबोहवा को बदलने की सलाह दी थी। इसी क्रम में उसके बेटे दारा शिकोह ने फैसला लिया कि वो शाहजहां को लेकर आगरा आ जाएगा।
दारा शिकोह अपने पिता को लाल किले से लेने गया और उसे आगरा ले जाने लगा। तभी ये अफवाह फैल गई कि शाहजहां की मृत्यु हो गई है। इस अफवाह को सुनकर हर तरफ़ अफरातफरी मच गई थी। उस समय औरंगज़ेब दक्षिण भारत के सूबेदार के पद पर तैनात था। उसके पास भी पिता के मरने की ख़बर पहुंच गई थी। पिता के मरने की खबर सुनकर उसका विद्रोही रूप सबके सामने आया। उसका ये रूप देखकर शाहजहां ने तुरंत अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया। औरंगज़ेब ये देखकर आग बबूला हो उठा। फिर भाई-भाई में उत्तराधिकार को लेकर जंग छिड़ गई।
10 मई, 1658 में औरंगज़ेब ने दारा शिकोह को पराजित करके उत्तराधिकार अपने नाम किया। इसके बाद उसने दारा शिकोह को फांसी दे दी और आगरा आया। आगरा आकर उसने किले को चारों ओर से घेर लिया और किले की सारी रसद आपूर्ति को बंद करा दिया था। इस व्यवहार से परेशान होकर शाहजहां को किला औरंगज़ेब को सौंपना पड़ा और फिर औरंगज़ेब ने शाहजहां को कैद में बंद कर दिया।
कैद में शाहजहां का बेटी ने दिया था साथ
शाहजहां को जब कैद में बंद किया गया, उसके बाद कोई भी उसका साथ देने के लिए आगे न आया। उसके 7 पुत्र थे, जिसमें से 3 पुत्रों की मौत पहले ही हो चुकी थी, इसके बाद बचे 4 पुत्र। इन 4 पुत्रों से शाहजहां की कभी बनी ही न थी। यही नहीं कई बार उसके पुत्र ही राजपाठ के लिए उससे युद्ध लड़ने सामने आ खड़े हुए थे। इसीलिए जब औरंगज़ेब ने उसे कैद में बंदी बनाया, तो कोई भी पुत्र उसका साथ देने के लिए आगे न आया।
शाहजहां की बेटी ने इस बुरे वक्त में उसका साथ दिया। उसकी बेटी जहांआरा ने सारे सुखों को त्याग दिया और अपने पिता की सेवा के लिए उसके साथ कैद में रही। उसने यहां तक ये कोशिश भी की कि वह शाहजहां और औरंगज़ेब के बीच पनप रहे विवाद को सुलझा सके, मगर वो इसमें सफल न हो सकी। इन 8 सालों में औरंगज़ेब एक बार भी अपने पिता शाहजहां से मिलने के लिए नहीं गया।
शाहजहां की मृत्यु
कैद में बंद रहते हुए शाहजहां ने 8 सालों तक सिर्फ छोले ही खाए थे। ऐसा बताया जाता है कि औरंगज़ेब ने ये आदेश दिए थे कि शाहजहां को उसकी पसंद का कोई भी एक ही भोजन खाने में दिया जाएगा। इसीलिए शाहजहां ने खुद छोलों को चुना और उसे रोज़ खाने के लिए छोले दिए गए।
कैद में शाहजहां के अंतिम समय तक उसकी बेटी जहांआरा ने उसका साथ दिया था। 8 साल की कैद काटने के बाद शाहजहां फिर से बीमार हो गया था और इस बार वो बीमारी से बच नहीं पाया। बीमारी के चलते जनवरी 1666 में शाहजहां की मृत्यु हो गई। शाहजहां की मृत्यु को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि औरंगज़ेब ने उसे मारने के लिए दो बार खाने में ज़हर मिलाया था, लेकिन शाहजहां को जिन हकीमों से ज़हर पहुंचाया जाता था, वो सभी शाहजहां के वफादार रहते थे। वो शाहजहां को ज़हर देने से पहले ही खुद ज़हर खाकर मर जाते थे।